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अजय पटनायक

Drama Inspirational

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अजय पटनायक

Drama Inspirational

आधा तीतर आधा बटेर

आधा तीतर आधा बटेर

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धर्म कर्म कठपुतली बन गये, मुखौटे पर दुनियादारी है।

सम्भल सम्भल कर चलना यारों, हर शख्स यहां मदारी है।

सेव भी ताकते रह जाते है ,बिक जाते खट्टे बेर है।

दुनियादारी अंधेर है, आधा तीतर तो आधा बटेर है।।


बेटी जींस में टिपटॉप, बेटा बढ़ा रखा है बाल।

बीबी फरारी में घूम रही, पति घोट रहा है दाल।

करता कुत्ता रखवाली, तमाशा दिखलाता शेर है।

दुनियादारी अंधेर है, आधा तीतर तो आधा बटेर है।।


चोर घण्ट बजाता है, साधु भोगता जेल है।

खिलाड़ी बन गये नेता, संसद बन गया खेल है।

खुशबु बाजार में बिक रहे है, गन्धहीन चमेली कनेर है।

दुनियादारी अंधेर है, आधा तीतर तो आधा बटेर है।।


रंग बदलती दुनि

या देखकर, गिरगिट भी नाराज है।

आस्तीन में छुप दुश्मन बैठा, दोस्त शर्मिंदा आज है।

कौआ हंस की चाल चल रहा, कूकता पोपट मुंडेर है।

दुनियादारी अंधेर है, आधा तीतर तो आधा बटेर है।।


जहरीले हो गये है मानव, घर में सोते सांप है।

माता शोहरत में खो गई, पैसा बन गया बाप है ।

रिश्तेदारी भटक रही है ,जानवर पल रहे है ढेर।

दुनियादारी अंधेर है, आधा तीतर तो आधा बटेर है।।


बहुरूपिया न्याय मांगता, चौपट उसका धंधा है।

पंडित श्रोता बन गये भैया, वाचक यहां हर बन्दा है।

असली चेहरा पहचान ले, हो जाये ना देर।

दुनियादारी अंधेर है, आधा तीतर तो आधा बटेर है।।


      


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