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अजय पटनायक

Inspirational Others

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अजय पटनायक

Inspirational Others

जय अभियन्ता

जय अभियन्ता

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हे ब्रह्म पुरुष अभियंता, तूने जगत का उद्धार किया ।

महाकाल बनकर,

हर विनाश का प्रतिकार किया ।।

तेरी परीकल्पना से, 

भूत भविष्य सब निर्भर है। 

हे विश्वकर्मा के मानस अक्स,

तेरी सिंचन से जग निर्झर है।।

पत्थर तोड़ लोहा बनाते, 

पारस बन कुंदन।

खुशबु बन जग को महकाते,

घिसकर तुम चन्दन ।।

माटी बन कुम्हार का,

तूने हर मूरत को गढ़ा है।

शिलालेख पर आलेख बनकर,

पंचतत्व को पढ़ा है।।

बनकर ऊर्जा पुंज तूने,

किया राष्ट्र का विकास।

मंगल पर पद चिन्ह बनाया ,

पहुंचकर दूर आकाश ।।

कर्तव्यनिष्ठा पर संकल्पित,

दूर दृष्टि के ज्ञाता ।

तेरी अभिकल्पित प्रबल धारणा, 

तुझे बनाता राष्ट्र निर्माता ।।

जल वायु भू-नभ् अनल सखा,

श्रम शक्ति तेरे हाथ है।

आपद विपद सब नियति

विलक्षण प्रतिभा तेरे साथ है ।।

हे अभियंता जगत नियंता

भाग्य की तू परिभाषा है ।

तुझ पर नियत धरा की धुरी

जन जन की तू अभिलाषा है ।।



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