STORYMIRROR

अजय पटनायक

Others

4  

अजय पटनायक

Others

गजल 212,212,212,212

गजल 212,212,212,212

1 min
7

अश्क़ बहते रहे हम रुलाते रहे।

इश्क की आग को हम बुझाते रहे।


बोलते थे वफ़ा का ठिकाना नहीं।

हम ख़ुशी का खजाना लुटाते रहे।


जिंदगी का यही था फ़साना सनम।

वो दग़ा बाज सपने दिखाते रहे।


टूटते तार से बिखरते तान का,

बेसुरे राग गाना सुनाते रहे।


मन्नतों से मिला साथ मैं सोचता।

आस झूठा बताकर भुलाते रहे।


शौक था गर्दिशों से लड़ा मैं करूँ।

बन सुनामी लहर वो बहाते रहे।


डोर था हाथ उनके चला आसमां।

वो पतंगा बनाकर उड़ाते रहे।


मैं अँधेरे शमा खोजता रात भर।

रौशनी जानकर दिल जलाते रहे।


मौत मातम मनाकर सज़ा पूछता।

ग़मज़दा बेवफ़ा मुस्कुराते रहे।



ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍