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Sambardhana Dikshit

Drama Romance Classics

4  

Sambardhana Dikshit

Drama Romance Classics

बात सिर्फ

बात सिर्फ

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बात सिर्फ मिलने की हुई थी,

पर एक बार फिर संग चलने लगे हम।

बात सिर्फ दो पल बिताने की हुई थी,

पर एक बार फिर पलभर में जीने लगे हम।


बात सिर्फ उलझनों को खत्म करने की हुई थी,

पर एक बार फिर दिल से सुलझ गए हम।

बात सिर्फ जवाब ढूंढने की हुई थी,

पर एक बार फिर कसम की कसम में बंध गए हम।


बात सिर्फ दो कदम चलने की हुई थी,

पर एक बार फिर कदम मिलाकर चलने लगे हम।

बात सिर्फ दो घड़ी बतियाने की हुई थी,

पर एक बार फिर बिन बोले सब समझने लगे हम।


बात सिर्फ नज़रों से दूर रहने की हुई थी,

पर एक बार फिर नज़रों में खो गए हम। 

बात सिर्फ कल के एहसासों को भूलने की हुई थी,

पर एक बार फिर एहसासों से जुड़ गए हम।


बात सिर्फ सब कुछ भूलाने की हुई थी,

पर एक बार फिर दिल दे बैठे हम।

बात सिर्फ आखिरी बार गले मिलने की हुई थी,

पर एक बार फिर सुकून के दरिया में डूबने लगे हम।


बात सिर्फ बंधन में ना बंधने की हुई थी,

पर एक बार फिर भरोसे की डोर में बंधने लगे हम।

बात सिर्फ अभी इतनी - सी हुई थी,

पर एक बार फिर पिघल गए हम।


देखो ना नैनों से सब इज़हार करने लगे हम,

देखो ना फिर एक दूजे से बेशुमार प्यार करने लगे हम।


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