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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

चेतक-एक सर्वश्रेष्ठ घोड़ा

चेतक-एक सर्वश्रेष्ठ घोड़ा

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कोड़ा गिरा न कभी राणा का 

न कभी नौबत ही ऐसी आने दी

पल में ओझल पल में प्रत्यक्ष

वायु भी जिससे हारी थी

चित्तौड़ भूमि के हर एक कण से, हमनें सुनी कहानी थी।


विकराल वृजमय बादल सा जो

गढ़ी शत्रुओं ने जिसकी कहानी थी

दंग रह जाते उसके करतब देखकर

जिसकी गति-बुद्धि ने किसी ने जानी थी

चित्तौड़ भूमि के हर एक कण से, हमनें सुनी कहानी थी।


सरपट दौड़ता राणा को लेकर

जिसकी चाल बड़ी तूफानी थी

खड्ग-तीर तलवार -भालों से रक्षा करता

कभी खरोच न राणा पर आने दी

चित्तौड़ भूमि के हर एक कण से, हमनें सुनी कहानी थी।


क्रन्दन करते पशु-पक्षी सब

चेतक अंतिम सांस लड़ाई लड़ी थी

मुख छिपाता सूरज छिप गया

चेतक अमर कथा एक ऐसी रची थी 

चित्तौड़ भूमि के हर एक कण से, हमनें सुनी कहानी थी।


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