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Sambardhana Dikshit

Tragedy Classics Inspirational

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Sambardhana Dikshit

Tragedy Classics Inspirational

ज़रूरी क्या है

ज़रूरी क्या है

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हर पल भागते रहना क्या ज़रूरी है,

खुद को भूल जाना क्या मंज़ूरी है?

सपनों की दौड़ में खो जाए जो मुस्कान,

वो जीत कैसी, वो ज़रूरी क्या है?


हर किसी को मात देना क्या ज़रूरी है,

दिलों को ठेस पहुँचना क्या मंज़ूरी है?

थोड़ा रुककर किसी का हाल पूछ लो,

ये छोटी सी बात भी ज़रूरी है।


नाम ऊँचा हो, ये चाह ज़रूरी नहीं,

इंसानियत से बड़ा कोई राह ज़रूरी नहीं।

जो दिल में सुकून दे, वही तो असली है,

बाकी तो सब दिखावा है, क्या ज़रूरी है?


हर रिश्ते में फ़ायदा ढूँढना क्या ज़रूरी है,

हर शब्द में मतलब बूँदना क्या ज़रूरी है?

थोड़ा प्यार बाँटो, थोड़ा एहसास दो,

बस इतना ही तो इंसान होना ज़रूरी है।


हर शाम को चमकना क्या ज़रूरी है,

हर सुबह को सजना क्या ज़रूरी है?

कभी सादगी में भी सुकून मिल जाता है,

हर वक़्त चमकना कहाँ ज़रूरी है?


हर मोड़ पर सही होना क्या ज़रूरी है,

गलतियों से सीखना भी तो ज़रूरी है।

जो गिरकर उठता है, वही मजबूत होता है,

हर बार जीतना कहाँ ज़रूरी है?


हर बात पर बोलना क्या ज़रूरी है,

कभी चुप रहना भी तो ज़रूरी है।

जो समझता है बिना कहे, वही अपनों में है,

हर शब्द का जवाब देना कहाँ ज़रूरी है?


ज़िंदगी जीने की कोई एक रीति नहीं,

हर दिल की अपनी कोई प्रीति सही।

बस सच्चा रहना, सादा रहना याद रखना,

बाकी दुनिया क्या कहे — ज़रूरी नहीं।


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