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Sambardhana Dikshit

Others

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Sambardhana Dikshit

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नया वर्ष

नया वर्ष

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नए वर्ष में नई पहल हो

कुछ ऐसी आगे हलचल हो

सुनहरे सपनों की झंकार हो 

खुशियों के अनमोल उपहार हो

सबके लिए सुनहरा पल हो

सुखमय आँगन का हर कल हो

उम्मीदों का नया सवेरा हो 

असफल हर कदम अब सफल हो

दिल की कठोरता अब दूर हो

रिश्तों में थोड़ी मिठास हो

कठिन जिंदगी भी सरल हो 

हर अनसुलझी पहेली का हल हो

नई डगर - नया सवेरा हो

चारों ओर खुशियों से भरा नज़ारा हो

नफरत की दीवार अब ऊंची न हो 

सत्य, प्रेम व इंसानियत सबके हृदय में हो 

शबनम की सतरंगी बूंदे हो

ना किसी आंख में पानी हो

झिलमिल सितारों से भरा आसमान हो

नव तरंगों से, नव उमंगों से भरा नव सवेरा हो 

हर वसंत में खेत लहराए मन उल्लासित हो

बरखा की पहली बूंद ओस बन 

असफलता की चुनौती स्वीकार हो

हर मंजिल में सफल मुसाफिर हो 

रात अंधेरी या काली हो 

लक्ष्य को पाने की दिल में चिंगारी सुलगती हो

मुश्किलों में भी न डगमगाए पथ ऐसा हौसला हो

पतझड़ में भी खिले नित नई कली कुछ ऐसा जज़्बा हो

सर्द हवाओं में प्यार की शीतल बयार चलती हो

हर मन को स्पर्श करे वो हर मन प्रेममय हो 

हर घर होली हर दिन दिवाली हो

बगिया महके और छटा निराली हो 

हर सवेरा नई उमंग भरा हो 

नव वर्ष का हर दिन मंगलमय हो।


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