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Sambardhana Dikshit

Romance

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Sambardhana Dikshit

Romance

एहम ख्वाब

एहम ख्वाब

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हमेशा वक़्त की शिकायत मत करो

सभी लम्हों को एक ही तराज़ू से न तोलो

क्रोध,वैर, हिंसा  से दूर रहा करो

अपनों से कभी प्यार से दो शब्द तो बोलो!


ख्वाबों का सिलसिला तो रोज़  यूं ही चलता रहा है

पर आज शायद तू खुद ही हकीकत बनके आ रहा है।।


तेरी एहमियत लबों से नहीं आंखों में बयां हो जाती है

दूर से भी वो तेरे पास हाने का एहसास दिला जाती है।।


एहमियत तब समझोगे किसी के होने का,

एहसास जब पाओगे किसी को खोने का ।।


जी चाहता है कि खो जाऊं इन निगाहों में 

जब कभी ढूंढें कोई तो मिलूं तुम्हारी नज़रों में


अगर वक़्त दे इज़ाजत तो 

ये पल यहीं रोक दूं ।

खो जाऊं इन बहारों में कहीं 

और फिर खुद ही खुद को ढूंढ लूं।।


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