तुम जा छिपे कहां हो
तुम जा छिपे कहां हो
नैना चकोर बनकर तुझ चांद को निहारे,
तुम जा छिपे कहां हो किसके जिऊ सहारे।
तुमको ही मैने चाहा तुमसे ही दिल लगाया,
तेरा किया है सुमिरण गुणगान तेरा गाया।
मुझे छोड़ के भंवर मे माही चले कहां तुम,
मेरा कसूर क्या है मुझको जरा बता दो।
मैने तुम्हे जहां में खुद से भी बढ के चाहा,
फिर बेवफा बने क्यों निज बचन ना निबाहा।
कोई खोट या कमी थी जो भी मुझे बताते,
करते सुधार ना हम तो आप छोड जाते।
अपनो को इस तरह यूं जाता नही भुलाया,
हो वास जिसका दिल में जाता नहीं रुलाया ।
मुझको तेरा सहारा दुख से मुझे उबारो।
अपना बना लो साथी अवगुण मेरे विसारो।।
