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V. Aaradhyaa

Abstract Drama Classics

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V. Aaradhyaa

Abstract Drama Classics

सोचो तो

सोचो तो

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तु फिज़ूल सिर मत झुका,तौहीन भूल जा

जो तुझे कर दे परायावो कहानी भूल जा।


जो तुझे भटकाव दे, अलगाव दे, दुख-दर्द दे,

ऐ मेरे दिल उस वतन की राजधानी भूल जा।


जल में मछली की तरह रहना है तुझको,

स्वार्थ के उड़ते परिंदे आसमानी भूल जा।


कर लिया तेरे मिसरा को ज़माने ने क़ुबूल,

इसलिये तू अब से मिसरा ए-सानी भूल जा।


तेरी क़िस्मत में पसीने से भरे दिन हैं लिखे,

क्या मिलेंगी अब तुझे रातें सुहानी भूल जा।


क़ामयाबी का नया सूरज उगाना है तुझे,

उलझनों को छोड़ दे, बातें पुरानी भूल जा।


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