मैं या तुम
मैं या तुम
मैं तुम्हारी थी बस तुम्हारी ही रही,
तुम्हें विविधताओं की खुमारी रही;
मेरे हर दर्द का इलाज़ थे तुम,
तुम्हें भटकने की दुष्कर बीमारी रही;
तुम खोजते रहे खूबसूरत चमन,
मुझे मिट्टी मैं तलाश तुम्हारी रही;
मैं एक बस तुम्हारे इंतज़ार में थी,
तुम्हारी नए सफर की तैयारी रही;
मेरे प्यार को ढोंग तुमने कहा,
बेवफाई तुम्हारी तलबगारी रही।