STORYMIRROR

Anita Sharma

Drama Tragedy

4  

Anita Sharma

Drama Tragedy

मैं या तुम

मैं या तुम

1 min
393


मैं तुम्हारी थी बस तुम्हारी ही रही,

तुम्हें विविधताओं की खुमारी रही;


मेरे हर दर्द का इलाज़ थे तुम,

तुम्हें भटकने की दुष्कर बीमारी रही;


तुम खोजते रहे खूबसूरत चमन,

मुझे मिट्टी मैं तलाश तुम्हारी रही;


मैं एक बस तुम्हारे इंतज़ार में थी,

तुम्हारी नए सफर की तैयारी रही;


मेरे प्यार को ढोंग तुमने कहा,

बेवफाई तुम्हारी तलबगारी रही।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama