बेज़ुबान
बेज़ुबान
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अंधेरों में छुपी हुई
कहानियां शोर करती हैं।
उधड़ जाती है...
रंगीन चीरों की सीवन।
उँगलियों के इशारों पर,
बोलते हैं भाव सारे।
बेज़ुबान कठपुतलियाँ,
बोलती बहुत हैं।