मित्रता
मित्रता
बिना किसी रक्त संबंध और बिना फेरों का रिश्ता।
एक ही अटूट बंधन है इस संसार में, वह है मित्रता।
यही रिश्ता एक दिल से दूसरे दिल को जोड़ जाता।
जो समय के साथ अधिक मज़बूती से बढ़ता जाता।
मित्र आवश्यकता पड़ने पर करे मित्र की सहायता।
जो भी उस से बन पड़े, उसकी पूरी मदद है करता।
जब कभी एक मित्र को दूसरे की होती आवश्यकता।
बिना देर किये, एक मित्र अपने मित्र के लिए पहुंचता।
मित्र अपने परम मित्र पर दिल और जान से है मरता।
उसकी खुशी को धरती पाताल एक करने से न डरता।
मित्र के लिए कभी प्राण देने हों तो भी नहीं झिझकता।
मित्र की आन, बान, शान के लिए जान क़ुर्बान करता।
