हमे काश तुमसे मोहब्बत ना होती.
हमे काश तुमसे मोहब्बत ना होती.
ये घुट-घुट के जीने कि नौबत ना आती,
आंसू आँखों को इस तरह ना भिगाती,
सोते सारी रात भर पर नींद नहीं आती,
वक़्त कि गर ना ऐसे बेबसी होती,
ऐसे कशमकश में ना ये ज़िन्दगी होती,
हमें काश तुमसे मोहब्बत ना होती...!
दर्द का हर आलम छुपा लेते हैं,
ग़म तो हैं लाख पर मुस्करा लेते हैं,
कभी होते हैं तनहा गर महफ़िलों में तो
थोड़ा सा गुनगुना लेते हैं,
लगते हैं ख़ुश हैं एकदम चेहरों से,
पर पता नहीं लोगों को कि, लोग चेहरों पे चेहरा
लगा लेते हैं,
इन दिल के ज़ख्मों कि ना सबको ख़बर होती,
आंखें बोलती और ज़ुबान पे सबकी नज़र होती,
हमें काश तुमसे मोहब्बत ना होती...!