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Karishma Gupta

Abstract Drama Tragedy

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Karishma Gupta

Abstract Drama Tragedy

तुम्हे जाना ही था

तुम्हे जाना ही था

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गिला ये नहीं कि तुम चले गए तुम्हे जाना ही था 

क्योंकि एक वक्त तक ही रहती है पीड़ा 

चाहे आंतरिक हो या शारिरीक ।


रह जाता है बस पीड़ा का एहसास 

जो रिसता रहता है गर्म रक्त की भाँति

और जलाता रहता है अंतरिक मन को।


गिला ये नहीं कि तुम चले गए तुम्हे जाना ही था

पर साथ ले गए मुझसे बहुत कुछ मेरा विश्वास,

मेरी सरलता, मेरा प्रेम और मेरी इच्छाएं।


हृदय जो परिपूर्ण है अब विपरीत विचारों से 

नहीं अपेक्षा उसे अब किसी प्रकार की 

मानो आसपास जो घटित हो रहा है 

मात्र एक मिथ्या और अवास्तविकता है।


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