आषाढ़ के काले बादल
आषाढ़ के काले बादल
सूखे से तिमछती इस धरती को राहत दे जा,
मेघ अब जल्दी से आ जा।
बच्चे पानी में अपनी कागज़ की नाव उतारना चाहते है,
छम छम बहती बरसात में भीगना चाहते है,
जब बरसात आएगी चारो ओर गीतों की गूंज होंगी,
हवा में बस ढोल की थाप और मृदंग की धुन होगी।
सूखे से तिमछती इस धरती को राहत दे जा,
मेघ अब जल्दी से आ जा।
किसी की बरसो की प्यास मिटा जा,
आषाढ़ के बादल जल्दी आ जा,
किसी की आस अधूरी है,
किसी की अपनी कोई मजबूरी है।
सूखे से तिमछती इस धरती को राहत दे जा,
मेघ अब जल्दी से आ जा।
किसी की टूटी छत है,
तो किसी की किस्मत आहत है,
कोई झूमेगा इस बरसात में तो कोई करेगा
इंतजार बरसात के थमने का,
किसी का मीत होगा उसके करीब तो
किसी की आंखों को हरजाई का इंतजार रहेगा।