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Rajesh SAXENA

Drama Romance Tragedy

4.7  

Rajesh SAXENA

Drama Romance Tragedy

आस या हकीकत

आस या हकीकत

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हकीकत के आईने में आस नहीं दिखती

और आस की डोर में सांस नहीं टूटती ।


माना हर राह आसान नहीं होती,

मगर इतनी भी वीरान नहीं होती, 

काश, जो कुछ कदम तुम साथ चल लिए होते, 

तुम्हें सहारा और मुझे मेरा प्यारा मिल गया होता ।


आस ही लगी रही कि कभी तो सफ़र साथ-साथ होगा, 

आस की आस में जिंदगी की सांस चलती रही,


ना आस हारी ना हकीकत ने ही पलटी मारी, 

साँसे आज भी जिंदा हैं उस आस की डोर को थामे

और तुम आज भी निहारते हो,

सुर्ख चेहरे की झुर्रियों को हकीकत के आईने में।

 

कुछ सिरफिरे ही होते हे जो हारने के बाद भी जीते हे,

आस के सहारे।


अब आस टूटे या सांस, फर्क नहीं पड़ता,

क्योंकि दिन निकल गया आस के इंतजार में,

और हकीकत का आईना नहीं दिखता जीवन की ढलती शाम में।



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