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Rajesh SAXENA

Others

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Rajesh SAXENA

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विजयदशमी

विजयदशमी

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हर दिल में बसे श्री राम हैं

मगर जेहन में है रावण और अभिमान भी,

हमको सत्य अस्त्य का ज्ञान नहीं,

अंतर्युध चलता हैं, हर मन- मस्तिष्क में,

न संधि ना विच्छेद सही,

मगर चलता रहता विचारों में मतभेद कहीं।

हर दिल में रामराज की चाहत सबकी मगर,

हर कोई राम नही बन सकता।


अपने अंदर के रावण को मार गिराने के लिए,

काश, सुग्रीव जैसा मित्र और बजरंगी का साथ हो,

तो शुद्ध विचारो से शुभ कर्मों का आगाज़ हो,

और हर दिन विजयदशमी का त्योहार हो ।।


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