परम्परा
परम्परा
यह कैसी, परंपरा की जो चल बसा इस दुनिया से और
पीछे छोड़ गया अपनो को, हम मांगते हैं शांति की दुआ
उसके लिए जो हुआ सांसारिक कर्म से मुक्त, धरती से विलुप्त,
ब्रह्मांड में लीन।
वह तो हो गया ब्रह्मांड में लीन, निभाकर कर्म और धर्म अपनें जीवन के,
रह गई उसके पीछे उसकी यादें उसके अधूरे कर्म, जो करने हैं पूरे,
शेष परिवार को।
शांति की जरूरत तो है, पीछे छूटे हुए परिवार को,
जो पल पल नहीं भूल पाते उसे, और अश्रु भर लाते हर मंजर पर।
जीवन एक कर्म क्षेत्र, जिम्मेदारियों और चुनौतियों का अनोखा मेल,
कर्म और धर्म के निर्वाहन में सफलता असफलता का मर्म,
दिलों दिमाग में फैली संवेदना और अशांति।
शांति और दुआ की जरूरत है उनको जो रह रहे धरती पर,
कर रहे अपने कर्तव्य का निर्वाहन, हर पल जी रहे जिन्दगी का संघर्ष।
मांगनी है गर, दुआ तो मांगो हर जीवित आत्मा की सुख और शांति की,
करो दुआ खुदा से उस आत्मा से जुड़े परिवारजनों की शांति की,
और हो सके तो रखो दुआ में हमेशा..
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
