तुम बहोत ख़ास हो
तुम बहोत ख़ास हो
वो ख़ास हैं बहुत ख़ास हैं
कुछ भी हों मेरी कविता या तस्वीरे
उसका दिन गुजारता नहीं हैं।।
वो ख़ास हैं बहुत ख़ास हैं
दूर रह कर भी दिल के कोने
में छुप कर बैठ गया हैं।।
वो ख़ास हैं बहुत ख़ास हैं
हम बात ना कर फिर भी दिन
ढलने के बाद उसकी फिकर रहती हैं।।
वो ख़ास हैं बहुत ख़ास हैं
अब एक दूसरे के लिए अजनबी बन
कर ख़ुद की ज़िंदगी जी रहें हैं।।
वो ख़ास हैं बहुत ख़ास हैं
रिश्ता कोनसा है भी या नहीं
पता नहीं फिर भी फिकर दिखती हैं।।
वो ख़ास हैं बहुत ख़ास हैं
अब बातें नहीं होती फिर भीं उसकी
एक बात तस्वीरें कविता सुकून दे जाती हैं।।