दो अजनबी
दो अजनबी
दो अजनबी
एक दिन किसी रहगुज़र
पर यूँ टकरा गये
मानो दो हादसे
एक ही सफर पर आ गये
उन्माद ऐसा जो
दोनों और बराबरी पर था
शायद यही जानकर
दोनों ही मुस्कुरा गये
मेरे यकीन पर
तुम भी कुछ यकीन करो
इसी तरह दोनों
एक दूसरे के क़रीब आ गये।
