"किस्मत"
"किस्मत"
1 min
291
थोड़ा सा खुश होता हूँ तो
किस्मत को बुरा लग जाता है,
आँखें बंद करूँ जब मैं ख्याल तेरा बस आता है,
जब भी सुनता हूँ प्यार के किस्से,
दिल कुछ घबरा सा जाता है,
फिर तुझसे मिलने को जी चाहे,
फिर बांहों में तू भरले मुझको,
फिर तेरे साथ गुजारूँ शाम,
फिर देखे तू सोते मुझको,
बस यूँ ही दिन ढलता जाता है।
कुछ यूँ फिर आता है चाँद फलक पर,
'रवि' कहीं फिर छुपसा जाता है।