GAUTAM "रवि"

Abstract Classics

4.5  

GAUTAM "रवि"

Abstract Classics

"कातिल"

"कातिल"

1 min
11


हाँ मैं कातिल हूँ,

अपनी इच्छाओं का,

अपने जज्बातों का,

अपने शौकों का,


अपने आत्मविश्वास का,

अपने मरे हुए मन का,

अनगिनत अधूरे ख्वाबों का,

अनजान कहानियों के दम तोड़ने का,


कुछ बेमिसाल निशानियों के छूटने का,

अपना खुद का दिल बार बार टूटने का, 

और मैं कातिल हूँ अपने अंदर के लेखक का..!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract