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GAUTAM "रवि"

Abstract Others Children

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GAUTAM "रवि"

Abstract Others Children

"बेटा"

"बेटा"

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कभी कुछ - कभी कुछ करता रहा हूँ,

थक कर चूर कब मैं फुर्सत से रहा हूँ, 

अपनों की हर उम्मीद का बोझ उठाता रहा हूँ,

अपना हर फर्ज़ और जिम्मेदारी निभाता रहा हूँ,

अपने हर दर्द और ग़म में भी मुस्कराता रहा हूँ,

मैं इस घर का बेटा हूँ, खुद को बताता रहा हूँ।।


बेशक बहुत ख्वाहिशें, अरमान हैं मेरे,

खो गए हैं जो कहीं अब, सब शौक हैं मेरे,

आँखों में नींद भले हो मेरी, सोया नहीं हूँ,

खुली आँखों में पले हैं जो, ये ख्वाब हैं मेरे,

हो कोई मुश्किल या कोई मुसीबत,

हो कहीं भी कोई चाहे जैसी जरूरत,

मैं खुद को ही हरदम लुटाता रहा हूँ,

मैं इस घर का बेटा हूँ, खुद को बताता रहा हूँ।।



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