विवाह(Prompt 24)
विवाह(Prompt 24)
जन्म जन्मांतर का यह गठबंधन
इससे पावन ना होता कोई बंधन।
दो अंजान राहों को मिलाता है
दो परिवारों को एक बनाता है।
अजनबी सा रिश्ता लगता है जब अपना
ऐसा लगता है जैसे सच हुआ हर सपना।
हँसी-खुशी ना बाँटे सिर्फ बाँटे यह दुख भी
मैं और तुम नहीं होता इसमें होता है बस हम ही।
समान मान दे एक दूजे को वधू और वर
गर्व से ऊंचा रखें सदा अपनों का वह सिर।
हर्षोल्लास से निभाई जाती हैं विवाह की रस्में
एक दूजे को पाने की खातिर खाते अनेकों कसमें।
सातों वचन निभाने का करते हैं जो वादा
ना होता कम कोई ना ही होता है ज्यादा।
पवित्र अग्नि को मानकर साक्षी लेते हैं जो फेरे
बंध जाते हैं चारों तरफ फिर मर्यादा के घेरे।
समान रुप से इज्जत देना है दोनों का कर्तव्य
एक पहिए पर यह गाड़ी चले ना यह है परम सत्य।