संसार
संसार
तेरे बाहों में भरके में देखउँ के
यह संसार क्या है सनम
दो दिल हैं पास हम तो फिर क्यों
है दूरियां और भर्म
चाहत की सर ज़मीं तेरा
ज़िन्दगी तेरे सर आँखों पर
बारिश की बूँदें है आंसूं मेरे
ज्वालामुखी मन की अगन
तेरे साँसों में मिलके में देखउँ के
यह संसार क्या हैं सनम
था तुमको भी इश्क़, रहेगा मरकर भी मेरा
तो फिर क्यों है तड़प ही तड़प
मेहरूम तेरे हरकत ने किया
भुला दिया होती शराफत है क्या
खून के आंसू मैं पीता रहा
मुक्त कभी न होगा रूह मेरा
तेरे धड़कन में समाके मैं देखुूँ के
यह संसार क्या है सनम
करना आशिकी था जुर्म इतना घिनौना
तो फिर क्यों मैं लेता जन्म।