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Sughosh Deshpande

Abstract Others

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Sughosh Deshpande

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सीता तेरा राम : एक प्रेम पुकार !

सीता तेरा राम : एक प्रेम पुकार !

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प्रेम वचन हैं, प्रेम निरंतर, प्रेम ही हैं भगवान

तुम बिन कोई क्षण न बीते, मन तड़प जपे हैं तेरा नाम।

दूर हो तुम संसार में कहीं चाहे, करूँगा हर समंदर पार

ढूंढूंगा तुम्हें करके भी चाहे मैं सृष्टि संहार।

जहां भी हो तुम पाओ मुझे तुम प्रेम में तेरे मेरा धाम, अनंत तक है सीता तेरा राम।।


प्रेम ही पूजा, प्रेम सा न कुछ दूजा, प्रेम की हो हमेशा प्रथम गुणगान

मन में सीता, स्मरण में सीता, क्या बिन सीता राम।।


ये वृक्ष की छाया, गंगा हिमालया

सत्य हो या हो माया तुम बिन झूठा झूठा

तड़पे मेरा मन, हर कण कण जैसे राधा बिन कन्हैया।।


ये नदिया की धारा, सूर्य की ज्वाला तुम बिन झूठा सारा

सिसक सिसक कर, विरह में जल कर हर पल तुम्हें प्रेम पुकारा

नाम अधूरा, पहचान अधूरा और जान अधूरा तुम बिन मेरा।।


तुमसे ही चाहत, तुमसे ही आक़िबत सिवा प्रेम तेरा हैं मुझे क्या काम

फूल सुगंध जैसे, नील गगन जैसे, भावना और मन जैसे

वैसे सीता तेरा राम।।


प्रेम में प्रतीक्षा हो या अग्निपरीक्षा हो

सब पार कर बनी हो तुम महान

क्या बिन सीता ये तुम्हारा राम।।


प्रेम ही सत्य, प्रेम ही अन्यत्र, प्रेम ही है जीवन सार

तोहरे हृदय की कुटिया में समाया, प्रीतम तुम ही आधार।

तुझ में ही मैं जीता, ओह मेरी सीता, मृत्यु भी न मिटा पाए हमारा नाम

युग युग तक सिया के राम ।।



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