आफ़्री...उसकी आग़ा...उसकी आतिश
आफ़्री...उसकी आग़ा...उसकी आतिश
हँसी उसकी दिखाए हज़ारों ख्वाब हैं,
पीछे जिसमें छिपी बहुत राज़ है,
हँसी ये छुपाये उसके आँसू सभी,
दिखी जिसको तो दिल मेरा हर गिला भूल गयी।
हँसी है ये जैसे फूलों पे शबनम कोई,
जैसे हसीन एक नज़र,जैसे रूहानी मौसिकी,
हँसी होठों पे उसके आए तो दर्दों को दवा मिल गयी,
हँसी वो जो नहीं तो दुनिया उजाड़ सी गयी।
हँसी हमको भुलाये अपना नाम है,
उस हँसी में ही कहीं अपनी निशाँ है,
मौत में भी दिखेगी वो हँसी सामने,
मरहमी मरहमी... बेखुदी बेखुदी।
आफ़्री आफ़्री आफ़्री आफ़्री,
हुस्न ए जाना की तारीफ मुमकिन नहीं...
हुस्न ए जाना की तारीफ मुमकिन नहीं,
आफ़्री आफ़्री आफ़्री आफ़्री,
तू भी देखे अगर तो कहे हमनशीं,
आफ़्री आफ़्री आफ़्री।
जाम सा छाये नशा सुनके उसका नाम हैं,
उस नाम में ही कहीं अपनी पहचान हैं,
साया भी तो उसके नाम का इक है सिरा,
उसके नाम से चलता हैं मेरा जहां।
उसका नाम ही तो सीने में लिखा,
माथे पे दिखा,आँखों में सजा,
नाम मेरे लिए है जैसे कोई दुआ,
रब से भेजी हुई एक पैगाम।
हर गली में मैं टकराया उस नाम से,
जो जुड़ गया है मेरे हर अरमान से,
उस नाम को ही मैंने दिल का हर खत लिखा,
उस नाम से ही मुझे बरकत मिला।
भूला सब कुछ सिवाए उसका नाम है,
दिलकशी दिलकशी...नाज़नीं नाज़नीं...
आफ़्री आफ़्री आफ़्री आफ़्री,
हुस्न ए जाना की तारीफ मुमकिन नहीं...
हुस्न ए जाना की तारीफ मुमकिन नहीं,
आफ़्री आफ़्री आफ़्री आफ़्री,
तू भी देखे अगर तो कहे हम नशीं,
आफ़्री आफ़्री आफ़्री।

