कीमत
कीमत
इस जिस्म की कोई कीमत नहीं।
आखिर में इसे राख ही होना है।
जान बहुत नाइंसाफी करती है।
कभी भी छोड़ कर चली जा सकती है।
न उमर देखती और ना रिश्ता।
मौत का कोई धर्म नहीं होता, मौत बेखबर होती है।
पर जब वो जिस्म जलता है तो वो दिल जलता है
जिसने उसको प्यार किया,
जब दफन किया जाता है तो हर वो लम्हा दफन होता है
जो उसके साथ बिताया।
उससे एक पल में इंसान से राख बनते देखकर रूह कांप उठता है।
मन में वो तस्वीर छप जाती है और हर पल आँखों के सामने आती है।
ये सदमा नहीं तो और क्या है, अब जो बच जाती है वो बस याद है उसकी याद है।

