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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Drama Inspirational

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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Drama Inspirational

आसान नहीं लेखक बनना

आसान नहीं लेखक बनना

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मंजर जश्न का अभी बाकी है 

कुछ खोया कुछ पाया मगर 

चाहत का सिलसिला जारी है


मुमकिन कहना आसान तुम्हारे लिए

ये गजल ये नज्म बस नथी कागजी है 


खौफ नहीं दर्द का, रोए चेहरे का तुम्हें 

आंसू से लिपटे यादें हर पहर की रवानी है 


टुच्चै से तो लग रहे तुम ऐ नादाँ परिंदे

तुमने कहां देखी पूरी बाकी अभी जिंदगानी है


रहम का कफ़न भी सोने के भाव  

साँसो का जस्ता जहर का सुनामी है


रख रहे जिससे नाता गहरा 

वो जहरीली ज़ख्म की प्याली है


यूं ही नहीं बनता यहाँ लेखक कोई

चीखो से लिखी पल पल की कहानी है 


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