ऐसा पल आया
ऐसा पल आया
जीवन के दौर में ऐसा पल आया।
जिसमें इंसान अपने अपनो से मिल ना पाया।
आखिरी सांसों का ना जाने कितनो का सफर चल रहा है।
दिल अपनो से मिलने को बैताब है।
आखिरी दर्शन भी दुर्लाभ हो गए है।
जीवन के दौर में ऐसा पल आया।
जिसमें इंसान अपने अपनो से ही मिल ना पाया।
दिमाग में बस यही ख्याल आता है
कही कोई अपना ना मेरे जैसा हो जाए।
अपनो से ही ना मिल पाने पर मजबूर ना हो जाए।
जीवन के दौर में ऐसा पल आया।
जिसमें इंसान अपने अपनो से ही मिल ना पाया।
कैसे लफजो में ये दर्द बयां करेंगे।
किसने कितना पाया है किसकी वसिहयत में क्या लिखेंगे।
कौन किसकी दलीलें देगा किनसे दिल की बात कहेंगे।
जीवन के दौर में ऐसा पल आया।
जिसमें इंसान अपने अपनो से ही मिल ना पाया।