खोज खुद की
खोज खुद की
खोजूं खुद को हर पल इस संसार में।
मिला ना मुझसा कोई अनोखा इस किरदार में।
मन का डर मेरा मैं ही बन गया।
मैं खुद के लिए ऐसा दारिया बन गया।
गिरते संभलते मैं खुद से लड़ गया है।
ना जाने कब मैं खुद के लिए।
कब एक पहेली बन गया।
चलता अकेला मैं ।
मैं कब काफ़िर बन गया।
खो कर खुद को ।
मैं गमो आशिक बन गया।
खोजूं खुद को हर पल इस संसार में।
