युद्ध
युद्ध
युद्ध तेरा है ।
सिर्फ तेरे ही विरुध।
कितने दशको का है ये युद्ध।
कितना पाया कितना खोया।
दो वक़्त के भोजन ।
कि चाहत में ।
ना जाने तुने क्या - क्या है कर दिखया।
फिर भी तेरा ये मन ना भर पाया।
पल-पल वक्त ये बदलता जाए।
फिर भी कोई ना ये समझे पाए।
भुले सब दो पल का चैन।
कमाई की दौड़ में है सब बैचैन।
