मातृशक्ति
मातृशक्ति
जो मातृशक्ति का करता,सदा निरादर
सुख,समृद्धि,लक्ष्मी नही रहती,उस घर
जो अपने शब्दों पर नही रहता है,स्थिर
उसकी आँखों से बहता रहता,सदा नीर
सरस्वती कभी नही रहती है,उधर फिर
जो प्रकाश को कहता है,सदैव तिमिर
उस शक्ति का क्या लाभ,जो है,पत्थर
आदमी खाता उससे तो नित ही ठोकर
शक्ति का दरिया बहता है,उसके भीतर
जो कमजोरों की सहायता करता है,नर
मां पार्वती की कृपा नही रहती,उस घर
जो शक्ति अहम में बन जाता है,जानवर
शक्ति होकर जो असहायों की मदद करे
वो सच में नर,बाकी मनु रूप धरे निशाचर
गर छोड़ दे,फिझुल का पुरूष होने का दंभ
मातृशक्ति की कद्र कर,बने हम सच मे नर।