युद्ध का परिणाम
युद्ध का परिणाम
दया, शांति, प्रेम और करुणा का उद्गम,
क्या केवल किताबों में सिमट कर रह जायेगा?
वैचारिक मतभेदों पर,
क्या भाई-भाई पर हथियार उठाएगा?
युद्ध कोई विकल्प नहीं,
युद्ध के परिणामों की कोई कल्पना नहीं।
इससे,
सामाजिक संरचना होती विकृत,
होता नैतिकता का चीर हरण।
रक्तपात से शर्मसार मानवता,
व्यभिचार के लिए होता विचरण।
"युद्ध के उपरांत का एक दृश्य"
मां तड़प रही, बेटी बिलख रही,
टूट रही कलाई पर बंधी राखी और चूड़ियां।
मिट रहा मांग का सिंदूर,
नम आंखों संग बेटा तैयार कर रहा "चिता" को लकड़ियां।
इतिहास भी गवाही देने को है आतुर,
कलिंग हो या हो महाभारत,
विश्वयुद्ध हो या हो कोई लड़ाई,
युद्धों से ज़मीन का टुकड़ा जीता होगा,
हृदय न जीत पाया कोई।
युद्ध के परिणाम देख,
बिलखता हृदय गैरों का भी और अश्रु न रोक पाता कोई।