अस्पताल
अस्पताल
अस्पताल, "जीवन या मृत्यु" का द्वार..
कोई जीतता यहाँ और कोई जाता हार।
चकाचौंध रोशनी यहाँ पर दिलों में छाया अँधियारा,
खीजता और टूटता मन, जब होता बेचारा.
तरसती निगाहें खोजती देवदूत,
कोई पा जाता और किसी को होते नसीब यमदूत.
देखकर मरीजों को, रोते बिलखते उनके परिजनों को,
मानवता की याद दिलाता पर मोह माया का रुला देता।
खुशियों की सौगात यहीं, दुखों का अम्बार यहीं
मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर यहीं
तो श्मशान और कब्रिस्तान भी यहीं।
अस्पताल, "जीवन या मृत्यु" का द्वार..
कोई जीतता यहाँ और कोई जाता हार।
