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Rajendra Jat

Children Stories Action Inspirational

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Rajendra Jat

Children Stories Action Inspirational

मन में रहने दो

मन में रहने दो

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शब्दों को होंठों पर रख “मन” के भेद न खोलो,

जो मन में है मन में रहने दो ... 


मजबूत अपने चरित्र को जग में ऐसे न तोलो,

जो मन में है मन में रहने दो ...


हार और जीत के फेर में सपनों से अपने मत खेलो,

जो मन में है मन में रहने दो ... 


क्रोध को अपने यूँ न अश्रुओं में बहाओ

जो मन में है मन में रहने दो ....


कोई नहीं यहाँ समझने वाला "तेरे" मन की भाषा,

मोह-माया ही इस स्वार्थी जीवन की परिभाषा,

इसलिए 

जो मन में है मन में रहने दो .....


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