आँसुओ की बूंदो को कटघरे में
आँसुओ की बूंदो को कटघरे में
चलो, आज आंसुओ की बूंदो को
कटघरे में खडा करते है।
आज पुछे जायेगे इनसे कुछ सवाल
जिनका जवाब इन्हें देना ही पड़ेगा।
बताना पड़ेगा इन्हें कि
क्यों ये आ जाते है बीच में
जब भी मेरी किसी से
तकरार हो रही होती है।
क्यों निकल जाते है ये आँख से
जब भी मैं सामने उनकी
आँख में देखती हूं।
क्यों ये मेरे गुस्से को पहले
ख़ामोशी में बदल देते हैं।
और फिर बन जाते हैं
ये मेरी कमजोरी।
चलो, आज आँसुओं की बूंदों को
कटघरे में खड़ा करते हैं।
इन आंसुओं को जिसने देखा
मज़ाक ही बनाया।
कभी उन्होंने वजह न जानी
मुझे कमजोर साबित किया गया।
आज लूगी हिसाब हर उस वक़्त का
जब जब मझे दर्द दिया इन्होंने।
और पुछुगी इनकी वजह
हर बार आंखों आने की।
चलो, आज आँसुओ की बूंदों को
कटघरे में खड़ा करते हैं।