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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

ताउते- ग्लोबल वार्मिग

ताउते- ग्लोबल वार्मिग

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ताऊते आया कोहराम मचाते

अभी कोरोना-फंगस भी कम न हो 

प्रकृति का ऐसा रूप भयंकर

शायद किसी ने देखा हो।


एक के बाद है एक आपदा

इंसान की भलाई न जिसमें हो 

ज्ञान-विज्ञान सब धरा रह गया 

प्रकृति का जब सामना हो।


तहस-नहस हो रही हर तकनीकी 

परीक्षा जिसकी भारी हो 

जीत तो जाती कष्ट-संकट से

बड़ी इसमें हानि हो।


खिलवाड़ होता जब प्रकृति से

संतुलन में भारी गड़बड़ी हो 

पेड़-पौधो की कटाई से यारों 

मृदा पकड़ भी हल्की हो।


नींव हिल रही धरती माँ की

खुदाई निर्माण जो गहरा हो 

खोखली हो रही जड़े भी उसकी 

परिणाम जिसका भयंकर हो।


स्तर जल का गिरता जाता

न वक़्त पर बारिश हो 

ग्लोबल वार्मिंग बड़ा है कारण 

मशीनीकरण जो ज्यादा हो।


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