प्रियतम प्यारे
प्रियतम प्यारे
कैसे मौन, क्यूँ शांत रहों तुम
हमारी त्रुटि हमसे कहों
प्यारे न करते हमसे लेकिन
बातें तो कुछ हमसे करों।
रूठना-मनाना चलता रहे यूंँ
स्वार्थ की इसमें बात न हो
सुख की घड़ियाँ बहुत छोटी है
हरपल हँसकर इसकों जियों।
मैं गलती का पुतला ठहरी
कुछ सुधार तुम्ही लिया करों
गागर भरी है प्रेम की देखों
कभी हृदय की भी सुना करों।
कहीं न कहीं कभी न कभी
हमसे तो मिलने आया करों
थोड़ी कहों, थोड़ी सुनों
हाल-ए-दिल सुनाया करों।
