भाई-बहन
भाई-बहन
आज एक-दूसरे का हाथ पकड़े
दो मासूम बच्चों को
सड़क पार करते देखा,
तो स्मृति-पट
अपना बचपन याद आ गया।
हाथ पकड़
खींचकर ज्ञानमंदिर ले जाना
कभी उसका रोते-रोते जाना
कभी भाग आगे निकल जाना
कभी उसके कारण पाठशाला
लेट पहुँचने पर डाँट खाना।
अगले दिन
तैयार हो, अकेले चले जाना
फिर पापा के साथ लेट आना
और शिक्षिका का उसे डाँटना
तो मेरा हृदय उसके पिघलना
उस दिन, पूरे दिन समझाना।
अगले दिन फिर
जल्दी-जल्दी खींच कर ले जाना
अपने भाई को डाँट से बचाना
यह सिलसिला यूँ ही चलते जाना।
फिर शिक्षालय अलग हो जाना
पर ये प्यार यूँ ही कायम रहना।
कभी लड़ना-लड़ाना
कभी रूठना-रुसवा
कभी जगना-जगाना
कभी डाँट-से बचाना
कभी पढ़ना-पढ़ाना
कभी प्यार में रोना-रुलाना।
तमाम उम्र
इस रिश्ते का ऐसे ही प्रेम से चलते जाना
एक दूसरे की याद में यूँ ही आँसू बहाना।
पर एक दूसरे की जिंदगी में दखल न देना
हर समय एक-दूसरे के लिए दुआ करना।
दिल में सदा एक दूसरे को बसाए रखना
पर किसी से कोई शिकवा-शिकायत न करना
बस प्रेम की डोर से एक-दूसरे को बाँधे रखना।
मिलना-मिलाना उस पर छोड़ देना
बस दुआ करना
बस दुआ करना
बचपन याद कर मुस्कुरा लेना।