नफ़रतों में बाँटने प्यार लाया हूँ
नफ़रतों में बाँटने प्यार लाया हूँ
टूटते लोकतंत्र के इस दौर में,
मैं संविधान लाया हूँ,
जाति-धर्म, मजहब-सम्प्रदाय
से ऊपर उठकर,
इंसानों में इंसान कि पहचान लाया हूँ,
बे बुनियादी, रूढ़िवादी, कुप्रथा को मिटाकर
ज्ञान का विज्ञान लाया हूँ,
सब पढ़े, सब बढ़े
ऐसी शिक्षा का प्रावधान लाया हूँ,
अंधकार से लड़ -लड़कर
उजियारा लाया हूँ,
इस जहरीले दौर में भी,
मैं ये विचार लाया हूँ,
बन के आप सबका मैं यार आया हूँ,
नफ़रतों में बाँटने प्यार लाया हैं.!