क्या कहना उनका...
क्या कहना उनका...
जो कभी कहते थे रहेंगे साथ हर दम
उन्हें समय नहीं होता है आजकल,
हमने शिकायत की इस गुनाह की
वे बोले तू जरूरी नहीं अब हर पल।
मैंने पूछा अब ऐसा हुआ क्या खास है
ना तुम्हें परवाह मेरी न कोई प्यास है,
वे बोले कभी चुप भी रह लिया कर
पहले ही चुभती कानों को आवाज है।
मैं बोली बस वो गुनाह तो बता दो मेरा
जिससे तुम्हें खलती मेरी हर बात है ,
वे बोले समझा करो वक्त नहीं मिलता
कहने करने, को और भी काम काज है।
