इश्क था
इश्क था
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तुमने किया मुसाफिर-ए-इश्क था
हमारा तो इनायत-ए-इश्क था
कितना प्यारा मशहूर-ए-इश्क था
तुम्हारा तो गुरूर-ए-इश्क था
नशा में भी शामिल जाम-ए-इश्क था
जिसे तुम निभाते चले गए नाम-ए-इश्क था
मेरी वफाओं का नफरत-ए-इश्क था
तुम्हारा तो बेवफा-ए-इश्क था
नफरतों का तो मुलाजिम-ए-इश्क था
हर नशा, जाम में शामिल-ए-इश्क था।