STORYMIRROR

Nilesh Premyogi

Abstract Romance

3  

Nilesh Premyogi

Abstract Romance

लब है तुम्हारे खिले-खिले

लब है तुम्हारे खिले-खिले

1 min
193

लब है तुम्हारे खिले-खिले 

जूल्फें भी अपनी संवारती आ रही हो

क्या जादू किया है तुम्हारी अदाओं ने


सबको अपना दीवाना बना रही हो

जब भी तुम मुश्कुराती हो सब खों जाते है -२

लगता है अभी-अभी किसी का कत्ल करके आ रही हो।


एह जो ज़ुल्म तुम हम पे ढा रही हो

सबको अपना दीवाना बना रही हो

हमे भुलाकर सबको अपने पास बुला रही हो


और फिर भी खुदको मेरा मेहबूब बता रही हो

ये तुम्हारी पहले से बनाईं साजिश थी

या किसी और से इश्क फरमा रही हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract