महफ़िल
महफ़िल
1)
क़म्बख्त एक शाम तेरे नाम क्या की..
कि घर छोड़ आये एक शमा जलती।।
2)
शान ओ शौकत क्या बताएँ इन महफ़िलों की,
यहाँ तशरीफ़ रखते कि भूल जाते ख़ुद को ही।।
3)
मयखाने में गये थे तो साबुत दो पैरों से,
घर पहुँचे तो मादक तन,बहकते कदम थे।
4)
हसीना का गुस्सा और ताने सब सह लिये,
या अल्लाह हम तो किसी और घर में आ गये।