सुबह का सूरज
सुबह का सूरज
सूरज की किरणों से निकलती,
वो आशा की किरण झांकती है
आँखें खोलकर नये सपने देखती,
हर पल लेकर खुशियों का वादा
हंसती और खिलखिलाती है
दुःख भरी रातें अब पीछे छोड़कर,
नई सुबह में अपनी राह बनाती है
जीवन के सफर में आगे बढ़कर,
अपनी राह स्वयं खोज लेती
बांधकर उम्मीदें जगमगाती है
बदल देती ज़िन्दगी के रंग ढंग,
नये संघर्षों की कहानी लिखती है
हाथ में लेकर संकल्प की मसाल,
हर जगह खुशियों के रंग भरती है
सागर में गोते लगाकर
सपनों के मोती चुनती है
प्रकृति की गोद में महकती हरियाली,
हमें नित नई प्रेरणा देती है
शिक्षा का दीप जलाकर
अज्ञानता के भरे हुए घावों को भरती है
आशा के ज्ञान से जीवन में रंग भरती है।