मेरी दादी माँ
मेरी दादी माँ
प्यारी, शांत, चंचल सी थी दादी
मुझे प्यार से समझती थी मेरी दादी
अब नही है वो मेरे पास
इसलिए मन है बड़ा उदास
उनकी बाते आती है याद
लगता है अब भी है वो मेरे साथ
जब मे गुस्सा होती
तब मेरी दादी मुझे मनाती
मुझे प्यार से बुलाती
अपने पास बिठाकर
अच्छी-अच्छी बातें समझाती
अगर कोई मुझे कुछ बोले तो मेरे लिए
सब से लड़ जाती
रात को जब नींद ना आए
तो मुझे लोरी सुनाती
एक रुपया माँगू तो
दो दिया करती..
कुछ ऐसी थी हमारी यारी
मेरी दादी सबसे प्यारी
उनकी हर बात थी निराली।