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Reena Tiwari

Drama Romance Tragedy

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Reena Tiwari

Drama Romance Tragedy

अधूरी मोहब्बत

अधूरी मोहब्बत

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कोई तो चाहता मुझे भी इस कदर

की मैंने चाहा हैं तुझे जिस क़दर।

मेरी हर आरज़ू यूँ अधूरी ना रहती

जो मैं भी किसी की मोहब्बत होती॥

रुकती तो नहीं हैं ज़िंदगी मगर

उसे जीना भी नहीं कहते हैं।

ये जो टूटे हुए लोग होते हैं ना

वो चाहकर भी बिखरते नहीं हैं॥

ये जो समाज की लकीरें होती हैं

उन्हें तोड़ते नहीं है ॥

समाज के लिए हाथ तो थाम लेते हैं

मगर उससे मोहब्बत नहीं करते॥



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