नारी
नारी
नारी को कमजोर ना समझना
इनसे दुनिया ये हैं सारी।
कही प्रचंड शक्ति का रूप तो कही
वात्सल्य रूप हैं सब पर भारी।
ज़िम्मेदारी पूरी करने में है सबसे आगे
यही प्रथा बरसो से अब तक है जारी।
सीता बन शान्ति का प्रतीक रही क़भी तो
क़भी लक्ष्मीबाई बन दुश्मनों को धूल चटा दी॥
अपने आँचल में दुनिया समेट लेती
ऐसी है इस देश की सशक्त नारी।
चाहे करलो लाख कोशिशें
रुकेंगी नही ये बड़ चलेगी हर नारी।
बुनती है हज़ारों सपनों को अपनी बंद आँखों में
कर लेती है पूरी जिम्मदारियों सारी।
